Monkeypox के बढ़ते खतरे ने दुनिया भर में चिंता की लहर दौड़ा दी है, और भारत भी इससे अछूता नहीं है। इसे ध्यान में रखते हुए, शनिवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक का आयोजन किया। बैठक में स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने देश की तैयारियों का जायजा लिया और सभी राज्यों को अलर्ट मोड पर रहने के निर्देश दिए।
बैठक के बाद मंत्रालय ने जानकारी दी कि भारत में अभी तक मंकीपॉक्स का कोई मामला सामने नहीं आया है, लेकिन इस बीमारी को लेकर सतर्कता बरतना आवश्यक है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि भले ही फिलहाल बड़े प्रकोप का जोखिम कम हो, लेकिन हमें किसी भी तरह की लापरवाही से बचना होगा। आने वाले हफ्तों में कुछ मामलों का पता चलने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता, इसलिए सभी जरूरी कदम उठाने की आवश्यकता है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने बीमारी को रोकने और नियंत्रित करने के लिए एहतियाती कदम उठाने पर जोर दिया है। सभी हवाई अड्डों और बंदरगाहों पर सख्त स्क्रीनिंग की जाएगी ताकि विदेश से आने वाले किसी भी संदिग्ध मामले को तुरंत पहचाना जा सके। इसके अलावा, सभी राज्यों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करें और किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार रहें।
विशेषज्ञों का मानना है कि अभी तक भारत में मंकीपॉक्स का प्रकोप नहीं फैला है, लेकिन खतरा अभी टला नहीं है। इसलिए, देशवासियों को भी सतर्क रहना होगा और स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी की गई गाइडलाइंस का पालन करना होगा। इस बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाने और लोगों को सही जानकारी देने के लिए सरकार ने भी कई कदम उठाने की योजना बनाई है।
यद्यपि मंकीपॉक्स का प्रकोप भारत में नहीं हुआ है, लेकिन हमें इस बीमारी से बचाव के लिए सतर्क और तैयार रहना चाहिए। तैयारियों को मजबूत कर हम इस संकट को टाल सकते हैं और अपने देश को सुरक्षित रख सकते हैं।
भारत में फिलहाल कोई भी केस सामने नहीं आया है—राहत की बात, लेकिन सतर्क रहना जरूरी!
स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बयान जारी किया है, जो खासा ध्यान आकर्षित कर रहा है। मंत्रालय ने कहा, जब से डब्ल्यूएचओ ने 2022 में मंकीपॉक्स को अंतरराष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया, तब से भारत में कुल 30 मामलों की पुष्टि हुई है, और आखिरी मामला मार्च में सामने आया था।

हालांकि, राहत की बात यह है कि भारत में अब तक मंकीपॉक्स का कोई नया मामला सामने नहीं आया है। मंत्रालय ने इस मुद्दे पर गहरी निगरानी बनाए रखी है और स्थिति की पल-पल की जानकारी रखी जा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा 14 अगस्त को मंकीपॉक्स को फिर से अंतरराष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करने के बाद, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने तुरंत प्रतिक्रिया दी।
जेपी नड्डा ने मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की, जिसमें उन्होंने मंकीपॉक्स की स्थिति और तैयारियों की विस्तार से समीक्षा की। इस बैठक में, नड्डा ने देशभर में संभावित जोखिमों का आकलन किया और स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए आवश्यक कदमों पर चर्चा की। मंत्रालय की तत्परता और प्रभावी प्रबंधन ने इस वायरस के खिलाफ हमारी सामूहिक सुरक्षा को और मजबूत किया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय की यह सजगता और तत्परता हमें आश्वस्त करती है कि देश की स्वास्थ्य सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता पर है। इस बीच, नागरिकों को भी सतर्क रहने और स्वास्थ्य निर्देशों का पालन करने की सलाह दी गई है।
सतर्कता के निर्देश: Stay Alert for Your Safety
बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया कि सुरक्षा के लिहाज से सभी हवाई अड्डों, बंदरगाहों और ग्राउंड क्रॉसिंग पर स्वास्थ्य इकाइयों को उच्च सतर्कता पर रखा जाएगा। इसके लिए, नई और उन्नत परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना की जाएगी, जिससे किसी भी संभावित मंकीपॉक्स मामले का तुरंत पता लगाया जा सके। इन मामलों को सही तरीके से अलग करने और प्रभावी प्रबंधन के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं को पूरी तरह से तैयार किया जाएगा।
यह सुनिश्चित किया जाएगा कि हर जरूरी कदम उठाया जाए ताकि कोई भी खतरा जल्दी से काबू में आ सके। बैठक में यह भी बताया गया कि मंकीपॉक्स संक्रमण आमतौर पर 2-4 हफ्तों में स्व-सीमित हो जाता है और रोगी सामान्यत: थोड़ी मदद से पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं। इस तैयारी से हम न केवल सुरक्षा सुनिश्चित कर रहे हैं, बल्कि रोगियों को बेहतर देखभाल भी प्रदान कर रहे हैं।
मंकी पॉक्स क्या है (what is monkey pox
Mpox (पूर्व में Monkeypox) एक गंभीर संक्रामक रोग है, जो monkeypox वायरस के कारण होता है। इसके लक्षणों में दर्दनाक रैश, सूजी हुई लसीका ग्रंथियाँ और बुखार शामिल हैं। अधिकांश लोग इस बीमारी से पूरी तरह ठीक हो जाते हैं, लेकिन कुछ गंभीर रूप से बीमार हो सकते हैं।
Mpox कैसे फैलता है?
- संक्रमित व्यक्तियों से: त्वचा के संपर्क, चुम्बन, या यौन संबंधों के माध्यम से।
- जानवरों से: शिकार, खाल उतारने, या खाना पकाने के दौरान।
- संदूषित सामग्रियों से: कपड़े, चादरें, या सुईयों के माध्यम से।
- गर्भवती महिलाओं से: वे अपने अजन्मे बच्चे को वायरस पास कर सकती हैं।
अगर आपको Mpox है, तो निम्नलिखित करें:
- हाल ही में संपर्क में आए लोगों को सूचित करें।
- घर पर रहें जब तक सभी घाव ठीक न हो जाएं और नई त्वचा न बन जाए।
- घावों को ढकें और सार्वजनिक स्थानों पर अच्छी फिटिंग वाला मास्क पहनें।
- शारीरिक संपर्क से बचें।

Mpox वायरस, जो Orthopoxvirus परिवार के Poxviridae जीनस में आता है, का पहली बार 1958 में डेनमार्क में बंदरों में पता चला था। मानव में पहली बार 1970 में कांगो में रिपोर्ट की गई थी। यह वायरस आमतौर पर व्यक्ति से व्यक्ति और कभी-कभी जानवरों से भी फैलता है। हाल ही में, 2022–2023 के दौरान वैश्विक महामारी ने इस रोग को और अधिक उजागर किया है।
संक्रमण का तरीका:
Mpox का प्रसार सीधे त्वचा के संपर्क, चुम्बन, या यौन संबंधों के माध्यम से होता है। संक्रमित जानवरों के काटने या खरोंचने से भी यह फैल सकता है। इसके अलावा, संदूषित वस्त्रों या चिकित्सा उपकरणों के माध्यम से भी संक्रमण हो सकता है।
लक्षण:
Mpox के लक्षण आमतौर पर 1 से 21 दिनों के भीतर शुरू होते हैं और 2 से 4 हफ्तों तक रह सकते हैं। आम लक्षणों में रैश, बुखार, गले में खराश, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द, और सूजी हुई लसीका ग्रंथियाँ शामिल हैं। रैश फ्लैट घाव से शुरू होता है जो तरल भरे फफोले में बदल जाता है और यह खुजलीदार या दर्दनाक हो सकता है।
गंभीर मामलों में:
- त्वचा संक्रमण, निमोनिया, दृष्टिहीनता, और अन्य जटिलताएँ हो सकती हैं।
- कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग, गर्भवती महिलाएं, और बच्चे विशेष रूप से जोखिम में हैं।
Mpox के लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सा सलाह लें और उचित सावधानियाँ बरतें। अपनी सेहत और दूसरों की सुरक्षा के लिए सतर्क रहना अत्यंत आवश्यक है।
 
			








