Shardiya Navratri के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा करें इस सरल विधि से, बदलें अपनी किस्मत!

Shardiya Navratri: मां शैलपुत्री की महिमा और पूजा विधि

Shardiya Navratri day 1: भारत में मनाए जाने वाले त्योहारों में शारदीय नवरात्र का विशेष स्थान है। यह पर्व केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह श्रद्धा, भक्ति और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है। इस दौरान, जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इन नौ दिनों में, भक्त अलग-अलग स्वरूपों की आराधना करते हैं, जिसमें पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इस लेख में हम मां शैलपुत्री की महिमा, उनके स्वरूप, पूजा विधि और इस अवसर पर विशेष ध्यान देने योग्य बातों पर चर्चा करेंगे।

शारदीय नवरात्र का महत्व

हर वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्र की शुरुआत होती है। इस समय मां दुर्गा के सभी नौ रूपों की पूजा होती है, जिनमें से पहला स्वरूप मां शैलपुत्री का है। मां शैलपुत्री की पूजा करने से साधक के जीवन में उपस्थित सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। इसके अलावा, मां की कृपा से साधक के सभी मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। इसलिए, यह समय न केवल भक्ति का है, बल्कि आत्मा के आध्यात्मिक उत्थान का भी अवसर है।

मां शैलपुत्री का स्वरूप

सनातन शास्त्रों में मां शैलपुत्री को एक दयालु और कृपालु देवी के रूप में वर्णित किया गया है। उनका मुखमंडल कांति से ओत-प्रोत है, और उनकी दृष्टि में अपार प्रेम और करुणा है। मां के दो भुजाएं हैं; एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में पुष्प धारण किए हुए हैं। उनका वाहन वृषभ (बैल) है, जो उनकी शक्ति और स्थिरता का प्रतीक है।

मां शैलपुत्री का नाम “शैलपुत्री” इस बात का संकेत है कि वे हिमालय की पुत्री हैं। उनका स्वरूप श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है। भक्तों का मानना है कि उनकी पूजा करने से जीवन की कठिनाइयां समाप्त होती हैं और सुख, समृद्धि तथा शांति की प्राप्ति होती है।

शुभ मुहूर्त

इस वर्ष शारदीय नवरात्र 3 अक्टूबर से शुरू हो रहा है। पंचांग के अनुसार, इस दिन सुबह 6:15 बजे से लेकर 7:22 बजे तक का समय बेहद शुभ है। इसके साथ ही, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:46 से 12:33 बजे तक है। इस समय के दौरान घटस्थापना कर मां शैलपुत्री की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

पूजा विधि

मां शैलपुत्री की पूजा विधिपूर्वक करने से भक्तों को विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए, जानते हैं मां शैलपुत्री की पूजा की विधि:

  1. प्रातःकाल का संकल्प:
    ब्रह्म बेला में उठकर, मां शैलपुत्री को प्रणाम करें और दिन की शुरुआत करें। यह समय भक्तों के लिए ध्यान और साधना का होता है।
  2. स्वच्छता और पवित्रता:
    घर की साफ-सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव करें। पवित्रता इस पूजा का एक अनिवार्य हिस्सा है।
  3. स्नान और आचमन:
    दैनिक कार्यों से निवृत होने के बाद, गंगाजल से स्नान करें। इसके बाद, जल लेकर आचमन करें और व्रत का संकल्प लें। इस समय लाल रंग के वस्त्र पहनें, जो मां की आराधना के लिए उपयुक्त है।
  4. सूर्य देव को अर्घ्य:
    सबसे पहले सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। यह कर्म आपके दिन की शुरुआत को शुभ बनाएगा।
  5. मां का आह्वान:
    पूजा स्थल पर एक चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाएं। मां शैलपुत्री की प्रतिमा या चित्र और कलश स्थापित करें। निम्नलिखित मंत्रों से मां का आह्वान करें:

वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

navratri quote


या देवी सर्वभू‍तेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

Navratri quote
  1. पंचोपचार पूजा:
    मां शैलपुत्री को सफेद पुष्प, फल, वस्त्र, श्रीफल, हल्दी, चंदन, पान, सुपारी, मिष्ठान आदि चीजें अर्पित करें। इस समय ध्यान रखें कि आपकी अर्पण की गई वस्तुएं पवित्र और ताजगी से भरी हों।
  2. मंत्र जप और पाठ:
    पूजा के दौरान मां शैलपुत्री के चालीसा, स्तोत्र का पाठ करें और मंत्रों का जप करें। यह आपकी भक्ति को और भी बढ़ाएगा।
  3. आरती का समापन:
    पूजा का समापन मां शैलपुत्री की आरती से करें। आरती करते समय ध्यान रखें कि आप पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ उनका गुणगान कर रहे हैं।
  4. आशीर्वाद की कामना:
    मां से आय और सुख में वृद्धि, तथा दुखों से मुक्ति की प्रार्थना करें। मां की कृपा से आपके जीवन में सुख और समृद्धि का संचार होगा।
  5. फलाहार और भजन कीर्तन:
    दिनभर व्रत रखें और शाम को आरती के बाद फलाहार करें। इस समय मां की महिमा का गुणगान भजन कीर्तन के द्वारा करें। भजन और कीर्तन से वातावरण में भक्ति का माहौल बनेगा।

नवरात्रि का संदेश

शारदीय नवरात्र केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह हमें हमारी संस्कृति, परंपरा और आस्था से जोड़ता है। यह अवसर हमें आत्मनिर्भरता, शक्ति, और समर्पण का महत्व सिखाता है। इस दौरान भक्त मां शैलपुत्री से प्रार्थना करते हैं कि वे उन्हें कठिनाइयों से बचाएं और जीवन में सुख-समृद्धि लाएं।

इस नवरात्र, मां शैलपुत्री की आराधना करें और अपने मन में सकारात्मकता, प्रेम और सहिष्णुता का संचार करें। अपनी भक्ति और श्रद्धा के साथ इस पर्व को मनाएं, ताकि मां की अनंत कृपा से आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन हो सके।

निष्कर्ष

शारदीय नवरात्र का यह पर्व एक नई ऊर्जा, उत्साह और प्रेम का संचार करता है। मां शैलपुत्री की पूजा न केवल भक्ति का प्रदर्शन है, बल्कि यह हमारे जीवन में सकारात्मकता लाने का एक माध्यम है। इस नवरात्र में मां की कृपा से आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का संचार हो। आपकी भक्ति और श्रद्धा मां के चरणों में समर्पित हो, यही इस पर्व की सच्ची भावना है।

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