Flood in Bihar: कोसी बराज का पानी रफ्तार से बढ़ता, गांव-घर और फसलें तबाही की चपेट में! (Bihar latest news)

बिहार में बाढ़ का कहर: कोसी नदी फिर बनी काल (Flood in bihar)

Flood in bihar: बिहार में बाढ़ की विभीषिका लगातार बढ़ती जा रही है। वीरपुर के कोसी बराज से 6 लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़े जाने के बाद मधेपुरा जिले के आलमनगर और चौसा प्रखंड में बाढ़ की गंभीर स्थिति बन गई है। पानी का स्तर तेजी से बढ़ रहा है और कई गांव जलमग्न होने की कगार पर हैं। प्रशासन ने त्वरित रूप से अलर्ट जारी कर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने का निर्देश दिया है।

कोसी नदी: तबाही का दूसरा नाम (kosi nadi bihar)

‘बिहार का शोक’ कही जाने वाली कोसी नदी इस बार भी अपने उग्र रूप में दिख रही है। वीरपुर के कोसी बराज से 6 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है, जिससे 56 साल का रिकॉर्ड टूटने की स्थिति बन गई है। जिन इलाकों से यह पानी गुजर रहा है, वहां केवल तबाही का मंजर देखा जा सकता है। आलमनगर और चौसा प्रखंड से होकर गुजरने वाली कोसी नदी ने निचले इलाकों में बाढ़ के हालात पैदा कर दिए हैं। खेतों से होते हुए पानी गांवों में घुसने लगा है, जिससे ग्रामीण भयभीत हैं और सुरक्षित स्थानों की तलाश कर रहे हैं।

ग्रामीणों में खौफ: बाढ़ की दस्तक से सहमे लोग

बाढ़ के बढ़ते खतरे से ग्रामीणों के दिलों में दहशत छाई हुई है। न केवल प्रशासन बल्कि लोग भी पूरी तरह से सतर्क हैं। प्रशासनिक स्तर पर बाढ़ से निपटने के लिए मुकम्मल तैयारियां की जा रही हैं। क्षेत्रीय अधिकारी लगातार संभावित बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा कर रहे हैं। खासतौर पर आलमनगर और चौसा प्रखंड में कड़ी निगरानी बरती जा रही है, ताकि किसी भी अनहोनी से बचा जा सके।

अधिकारियों की मुस्तैदी: बाढ़ से निपटने की तैयारियां जोरों पर

उदाकिशुनगंज के एसडीएम एसजेड हसन खुद पूरे इलाके की निगरानी कर रहे हैं। उन्होंने संबंधित विभागों के अधिकारियों को बाढ़ के खतरे को देखते हुए सतर्क रहने और आवश्यक उपाय सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। किसी भी चूक को लेकर सख्त चेतावनी जारी की गई है।

6 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा: कोसी की मार का डर

शनिवार को नेपाल के तराई इलाकों में भारी बारिश के कारण कोसी बराज से 6 लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ा गया, जिससे बाढ़ की स्थिति और गंभीर हो गई। हालांकि रविवार को पानी के स्तर में मामूली कमी आई, लेकिन ग्रामीणों का भय अब भी बरकरार है।

कोसी की हर साल की त्रासदी: तबाही का अटल चक्र

आलमनगर और चौसा प्रखंड क्षेत्र के लोग हर साल कोसी नदी की तबाही का सामना करते हैं। यहां के लोगों के अनुसार, बराज से पानी छोड़े जाने के बाद इस क्षेत्र में बाढ़ का असर दो दिनों में नजर आता है। इस बार भी पानी की रफ्तार इतनी तेज़ है कि कई गांवों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है।

प्रशासनिक तैयारियां: आपदा से निपटने के उपाय

प्रशासन ने आपदा से निपटने के लिए युद्धस्तर पर तैयारियां शुरू कर दी हैं। संबंधित विभागों को बाढ़ से निपटने के लिए कार्य-योजनाएं तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। सड़कें दुरुस्त की जा रही हैं, और जल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए जगह-जगह चापाकल लगाए जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग ने सभी चिकित्सा पदाधिकारियों को 24 घंटे अलर्ट मोड पर रहने के आदेश दिए हैं। जीवनरक्षक दवाइयों के साथ स्वास्थ्य कर्मियों को तैयार रहने को कहा गया है। पशुपालन विभाग मवेशियों के लिए चारे की व्यवस्था कर रहा है, और बिजली विभाग ने निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश जारी किए हैं।

ग्रामीणों में दहशत: मुश्किल में दिन-रात

बाढ़ के बढ़ते खतरे से चौसा और आलमनगर प्रखंड के ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। हर तरफ डर और अनहोनी की आशंका ने लोगों की दिन-रात की नींद उड़ा दी है। लोगों का कहना है कि शनिवार को छोड़े गए पानी के कारण बाढ़ आना तय है, और इसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर बर्बादी होगी।

कोसी की नियति: हर साल की त्रासदी

आलमनगर और चौसा के ग्रामीणों के लिए बाढ़ एक नियति बन चुकी है। हर साल यह क्षेत्र बाढ़ की तबाही का सामना करता है, लेकिन इस बार भय इसलिए और भी बढ़ गया है क्योंकि करीब छह दशक बाद कोसी बराज से इतना अधिक पानी छोड़ा गया है। लोग अपने मवेशियों को ऊंचे स्थानों पर पहुंचा रहे हैं, लेकिन पानी का दायरा कितना बड़ा होगा, इस बारे में कोई स्पष्ट अनुमान नहीं है।

प्रशासन के पास अब समय बहुत कम है। उन्हें त्वरित और कारगर कदम उठाने होंगे ताकि बाढ़ से हो रही तबाही को रोका जा सके और लोगों की जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

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