भारत में अगले साल मिलेगा मोटापा कम करने वाला इंजेक्शन! लेकिन, इसे लेने से पहले जानें डॉक्टर की सलाह क्यों है जरूरी (Fat loss)

भारत में Fat loss और शुगर कंट्रोल के लिए माउंजरो इंजेक्शन की मंजूरी: अमेरिका में सफलतापूर्वक उपयोग किए जा रहे वेट लॉस और डायबिटीज के इलाज के लिए अद्वितीय माउंजरो इंजेक्शन को अब भारत में भी मंजूरी मिल गई है। यह इंजेक्शन खासतौर पर टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों के लिए विकसित किया गया है और इसमें वेट लॉस के भी शानदार परिणाम देखने को मिल रहे हैं। हाल के अध्ययन बताते हैं कि पिछले तीन दशकों में भारत में मोटापे की समस्या में तेजी से वृद्धि हुई है। महिलाओं में मोटापे में आठ गुना की बढ़ोतरी हुई है, जबकि पुरुषों में यह वृद्धि ग्यारह गुना तक पहुंच गई है।

माउंजरो इंजेक्शन इस बढ़ती समस्या का प्रभावी समाधान हो सकता है। यह इंजेक्शन वजन घटाने में सहायक है और शुगर लेवल को भी कंट्रोल करने में मदद करता है। हालांकि, इसके उपयोग से पहले डॉक्टर की सलाह लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके कुछ संभावित साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं। वर्तमान में, बैरिएट्रिक सर्जरी की तुलना में माउंजरो की प्रभावशीलता का मूल्यांकन किया जा रहा है। इसे लेकर डॉक्टरों का कहना है कि यह एक संभावित विकल्प हो सकता है, लेकिन इसकी पूरी जानकारी और उचित मार्गदर्शन के बिना इसका उपयोग नहीं करना चाहिए।

इस नई दवा के आने से उम्मीद है कि मोटापे और डायबिटीज की समस्या से जूझ रहे मरीजों को एक प्रभावी समाधान मिल सकेगा।

जल्दी के बजाय समझदारी से आकलन करें: सही निर्णय के लिए ये टिप्स अपनाएं!

शाल्बी सनार इंटरनेशनल हॉस्पिटल के बैरिएट्रिक सर्जरी के प्रमुख और वरिष्ठ कंसल्टेंट डॉ. विनय कुमार शॉ ने हाल ही में एक नई मोटापा कम करने वाली दवा पर अहम जानकारी दी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस नई इंजेक्शन दवा की प्रभावशीलता को लेकर अभी कोई ठोस आकलन करना जल्दबाजी होगी। डॉ. शॉ ने बताया कि पहले भी कई बार मोटापा कम करने वाली दवाओं को लेकर कंपनियों ने दावे किए हैं, लेकिन बाद में उन्हें वापस लिया गया है। इस नई दवा के बारे में यह जानना जरूरी है कि यह कितनी कारगर है, इसे किसे दिया जाना चाहिए, और इसके संभावित साइड इफेक्ट्स क्या हो सकते हैं। विस्तृत रिपोर्ट आने का इंतजार है।

डायबिटीज में वेट लॉस: सफलता के लिए ये अनमोल टिप्स जानें!

माउंजरो: डायबिटीज और मोटापे का शानदार इलाज शारदा अस्पताल के जनरल मेडिसिन के विशेषज्ञ डॉ. अनुपम आनंद के अनुसार, माउंजरो टाइप-2 डायबिटीज का एक क्रांतिकारी इलाज है। इसमें टिरजेप्टाइड नामक घटक होता है, जिसमें जीआईपी/जीएलपी-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट शामिल है। यह विशेष हार्मोन जीएलपी-1 मस्तिष्क के हाइपोथैलेमस में जाकर उसे सक्रिय करता है, जिससे भूख का अहसास कम होता है और खाने की इच्छा घटती है। इसके परिणामस्वरूप, शरीर में अतिरिक्त शुगर का निर्माण नहीं होता और पहले से जमा हुई चर्बी धीरे-धीरे कम होने लगती है। माउंजरो इंसुलिन के स्राव को उत्तेजित करता है और ग्लूकागन के उत्पादन को भी कम करता है, जो रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ाता है। इस तरह, माउंजरो ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के साथ-साथ शरीर के वजन को भी कम करता है और उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में भी मदद करता है। आमतौर पर, इसे हफ्ते में एक बार इंजेक्शन के रूप में लिया जाता है।

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दिल्ली के मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. विवेक बिंदल बताते हैं कि इस इंजेक्शन को हाल ही में भारत में मंजूरी मिली है। यह विशेष रूप से वजन घटाने और शुगर कंट्रोल के लिए प्रभावी है और एक एडवांस दवा है। इससे मरीजों ने उल्लेखनीय वेट लॉस अनुभव किया है, खासकर उन लोगों को जिनको मोटापे के साथ शुगर की समस्या है। इस दवा के उपयोग से 10 से 20 फीसदी वजन कम होता है, जो एक बड़ी राहत है।

फोर्टिस अस्पताल, बेंगलुरू के सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के अतिरिक्त निदेशक डॉ. मनीष जोशी का कहना है कि माउंजरो टाइप 2 डायबिटीज और मोटापे के रोगियों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है, हालांकि इसकी कीमत अधिक हो सकती है और इसके नियमित इंजेक्शन की आवश्यकता होती है। माउंजरो उन लोगों के लिए लाभकारी है जो आहार और व्यायाम के माध्यम से वजन घटाने में संघर्ष कर रहे हैं और मोटापे से जुड़े हृदय रोग के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है।

बैरिएट्रिक सर्जरी: आज के दौर में क्यों बन चुकी है यह सबसे प्रभावशाली समाधान?

डॉ. विनय कुमार शॉ के अनुसार, भारत में बैरिएट्रिक सर्जरी का सफर काफी दिलचस्प रहा है। आज यह सर्जरी भारत में अपनाई जा रही है, जबकि इसे वैश्विक स्तर पर करीब एक दशक पहले शुरू किया गया था। भारतीय स्वास्थ्य गाइडलाइन्स और डब्ल्यूएचओ मानकों के अनुसार, यदि किसी का बॉडी मास इंडेक्स (BMI) 40 से ऊपर है, तो वह सर्जरी के लिए पात्र है। इसके अलावा, 35 से ऊपर के BMI वाले डायबिटीज के मरीज भी लाइफ-सेविंग सर्जरी करवा सकते हैं। हाल ही में, नई गाइडलाइन्स के तहत, 30 BMI वाले डायबिटीज पेशेंट्स के लिए भी सर्जरी की अनुमति दी गई है।

बैरिएट्रिक सर्जरी हार्मोनल चेंजेस के जरिए वजन घटाने में मदद करती है, और इसके साथ-साथ नई दवाओं के प्रयोग पर भी ध्यान दिया जा रहा है। भारत में इस सर्जरी की कीमत लगभग दो लाख रुपये से शुरू होती है और यह वन-टाइम प्रक्रिया होती है।

डा. बिंदल का कहना है कि भारत में बैरिएट्रिक सर्जरी पिछले 50 वर्षों से की जा रही है और इसके परिणाम काफी सकारात्मक रहे हैं। नई दवाओं का अनुभव एक-दो साल का है, जबकि बैरिएट्रिक सर्जरी एक दीर्घकालिक समाधान है।

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मनीष जोशी के अनुसार, माउंजरो में सर्जरी की आवश्यकता नहीं होती और इंट्रागैस्ट्रिक बैलून एक अर्ध-आक्रामक विकल्प है। सर्जरी की तुलना में यह कम जोखिम वाला है और 4-6 महीने तक रहता है, जबकि बैरिएट्रिक सर्जरी लंबे समय तक वजन घटाने में प्रभावी रहती है।

चिकित्सक की सलाह के बिना इन साइड इफेक्ट्स से रहें सावधान – आपकी सेहत है प्राथमिकता!

डा. अनुपम आनंद के अनुसार, इन दवाओं के उपयोग से आमतौर पर हल्के साइड इफेक्ट्स होते हैं, जैसे सिर चकराना, डायरिया, मितली, सिरदर्द, और मांसपेशियों में दर्द। हालांकि, कुछ मामलों में गंभीर समस्याएँ भी उत्पन्न हो सकती हैं। इन साइड इफेक्ट्स की संभावना सामान्यत: 1 से 5 प्रतिशत तक होती है। इसके अलावा, लिपास लेवल, एमालाइज लेवल्स, पैंक्राइटिस, और थॉयरायड सी-सेल जैसे साइड इफेक्ट्स भी देखे जा सकते हैं।

डा. विवेक बिंदल का कहना है कि अगर आपके परिवार में थायराइड या कैंसर की बीमारियाँ रही हैं, तो इन दवाओं का उपयोग करने से बचना चाहिए। बड़ी पारिवारिक बीमारियों की हिस्ट्री वाले मरीजों को इन दवाओं को लेने से पहले विशेषज्ञ डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। बिना किसी एक्सपर्ट डॉक्टर की सलाह के दवा का सेवन न करें।

डा. विनय भी यही सलाह देते हैं कि मोटापा कम करने की दवा लेने से पहले विशेषज्ञों से सलाह लेना बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह दवा हर मरीज पर अलग-अलग प्रभाव डाल सकती है।

डा. मनीष जोशी के अनुसार, माउंजारो का उपयोग हमेशा डॉक्टर की निगरानी में करना चाहिए। किसी भी दुष्प्रभाव के संकेत मिलने पर तुरंत अपने डॉक्टर को सूचित करें। अपने डॉक्टर को अन्य दवाओं, एलर्जी, और स्वास्थ्य स्थितियों के बारे में पूरी जानकारी दें। आम दुष्प्रभावों में मतली, दस्त, और उल्टी शामिल हो सकते हैं, इसलिए नियमित रूप से रक्त शर्करा के स्तर की निगरानी करें।

हर दस में से तीन स्कूल जाने वाले बच्चे मोटापे के शिकार – जानिए क्या है इसका कारण!

1990 में लड़कियों में मोटापे की दर केवल 0.1% थी, जो 2022 में बढ़कर 3.1% हो गई है, जबकि लड़कों में यह दर 0.1% से बढ़कर 3.9% तक पहुंच गई है। इस वृद्धि के बावजूद, भारत ने 2022 में मोटापे के मामले में विश्व स्तर पर 174वां स्थान प्राप्त किया। इसके विपरीत, भारत में कम वजन वाले वयस्कों की संख्या सबसे अधिक है। लैंसेट के अध्ययन में पाया गया कि भारत की 70% शहरी आबादी मोटापे या अधिक वजन की श्रेणी में आती है, जो देश के मोटापे के संकट की गंभीरता को दर्शाता है।

मोटापे से ग्रस्त वयस्कों की संख्या 504 मिलियन और 374 मिलियन के आंकड़े के साथ, यह वृद्धि 1990 की तुलना में अत्यधिक है। सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि बच्चों और किशोरों में भी मोटापे की दर बढ़ रही है, विशेषकर कोविड महामारी के बाद। इस वैश्विक प्रवृत्ति को देखते हुए, भारत को अपने स्वास्थ्य नीतियों और शारीरिक सक्रियता को लेकर गंभीर रूप से पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।

कैलोरी का ओवरडोज और फास्ट फूड: मोटापे का नया कारण!

आर्टेमिस हॉस्पिटल्स, गुड़गांव के जनरल एंड मिनिमली इनवेसिव सर्जरी के विशेषज्ञ डॉ. कपिल कोचर का कहना है कि आंकड़े साफ-साफ बताते हैं कि मोटापा अब दुनिया भर में एक गंभीर महामारी का रूप ले चुका है। भारत में भी इस समस्या ने तेजी से पांव पसार लिए हैं, और यह समस्या अब किशोरों और युवाओं में भी देखने को मिल रही है।

मोटापा एक ऐसी समस्या है जो तब शुरू होती है जब शरीर में जरूरत से ज्यादा कैलोरी फैट के रूप में जमा हो जाती है। इसे मोटापा कहे जाने की प्रक्रिया वास्तव में यही है।

इसका मुख्य कारण बिल्कुल स्पष्ट है – जरूरत से ज्यादा कैलोरी लेना। उम्र, शारीरिक गतिविधियों और मेटाबोलिक रेट के आधार पर हर व्यक्ति की कैलोरी की आवश्यकता अलग होती है। महिलाओं और पुरुषों के लिए भी कैलोरी की जरूरत में फर्क होता है। जब कोई व्यक्ति लंबे समय तक अपने शरीर की जरूरत से ज्यादा कैलोरी खाता है, तो मोटापे का खतरा बढ़ जाता है। यही वजह है कि एक ही खानपान वाले दो लोगों के वजन में भी फर्क आ सकता है। इसलिए, अपने शरीर की जरूरतों को समझते हुए कैलोरी का सेवन करें और नियमित व्यायाम और शारीरिक गतिविधियों के माध्यम से कैलोरी जलाना न भूलें। फास्ट फूड, मैदे से बने पदार्थ और अत्यधिक मीठा खाना अक्सर वजन बढ़ने के मुख्य कारण बनते हैं।

अपना स्वस्थ शरीर बनाए रखें और खुद को फिट रखने के लिए इन सरल उपायों को अपनाएं!

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