Delhi asi suicide: दिल्ली के पुलिस थाने में ASI ने खुद को गोली मारी

Delhi asi suicide। उत्तरी जिले के सिविल लाइंस थाने के बैरक में तैनात एएसआई विजय कुमार ने अपने सर्विस पिस्टल से गोली मारकर आत्महत्या कर ली। आत्महत्या के कारणों का अब तक पता नहीं चल सका है। कुछ दिन पहले, इसी थाने के तहत आने वाले मजनूं का टीला चौकी में सीबीआई का छापा पड़ा था, जिसके बाद चौकी प्रभारी प्रवीण कुमार को निलंबित कर दिया गया था।

विजय कुमार, जो सिविल लाइंस थाने में मालखाना के सरकारी संपत्ति के प्रभारी थे, मूल रूप से हिमाचल प्रदेश के रहने वाले थे। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

“मालखाने को दो अद्वितीय हिस्सों में विभाजित करें”

खुदकुशी के कारण का अभी तक पता नहीं चल पाया है। यह घटना कुछ घंटे पहले की है। पहले दिल्ली पुलिस के हर थाने और यूनिट में केवल एक मालखाना होता था। पूर्व पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना ने मालखाना को दो भागों में विभाजित कर दिया था। एक सरकारी संपत्ति और दूसरा केस प्रॉपर्टी कर दिया गया।

सरकारी संपत्ति के इंचार्ज के जिम्मे बैरीकेड, टार्च, रस्सी, लाठी, बुलेटप्रूफ जैकेट, पीए सिस्टम और सभी तरह के हथियार और कारतूस आदि आते हैं, जबकि केस प्रॉपर्टी के इंचार्ज के जिम्मे किसी भी केस से संबंधित जब्त किए गए सामान आते हैं। दोनों प्रकार के मालखाना इंचार्ज के पद पर हवलदार को ही नियुक्त किया जाता है।

कुछ दिन पहले सीबीआई के छापे के बाद चौकी प्रभारी निलंबित

हवलदार को पदोन्नति मिल जाने के बाद उनके लिए करियर में नए अवसर खुल जाते हैं। जब एक हवलदार एएसआई (असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर) के पद पर पदोन्नत होता है, तो उसके कर्तव्यों और जिम्मेदारियों में उल्लेखनीय वृद्धि हो जाती है। एएसआई बनने के बाद, हवलदार को मालखाना के इंचार्ज की महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अवसर मिलता है। मालखाना पुलिस स्टेशन का वह विभाग है जहाँ जब्त की गई संपत्तियों, हथियारों और सबूतों को रखा जाता है। इस विभाग की जिम्मेदारी संभालना एक बड़ी ज़िम्मेदारी होती है, क्योंकि यहाँ रखी गई हर चीज की सुरक्षा और सटीक रिकॉर्ड-कीपिंग अत्यंत महत्वपूर्ण होती है।

हाल ही में, इस थाने के अंतर्गत आने वाले मजनूं का टीला चौकी में एक बड़ी घटना हुई थी। सीबीआई ने इस चौकी में छापा मारा था। सीबीआई का छापा मजनूं का टीला में किसी गंभीर अनियमितता के संकेत देता है। इस छापे के परिणामस्वरूप, चौकी प्रभारी प्रवीण कुमार को निलंबित कर दिया गया और एसएचओ (स्टेशन हाउस ऑफिसर) को लाइन हाजिर कर दिया गया। यह घटनाएँ यह दर्शाती हैं कि पुलिस विभाग में अनुशासन और जिम्मेदारी का कितना महत्व है। जब किसी अधिकारी पर कोई आरोप लगते हैं या किसी प्रकार की गड़बड़ी होती है, तो उसके परिणामस्वरूप सख्त कार्रवाई की जाती है।

इस प्रकार की घटनाएँ पुलिस विभाग के अंदरूनी अनुशासन और ईमानदारी की आवश्यकता को उजागर करती हैं। अधिकारियों के लिए यह आवश्यक है कि वे अपनी जिम्मेदारियों को पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ निभाएं। पदोन्नति पाने वाले हवलदारों के लिए यह एक महत्वपूर्ण सीख है कि जैसे-जैसे उनके कर्तव्य बढ़ते हैं, वैसे-वैसे उनकी जिम्मेदारियाँ और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाती हैं। उन्हें न केवल अपने कार्यों के प्रति बल्कि पूरी प्रणाली के प्रति जवाबदेह रहना होता है। इस प्रकार, पदोन्नति के साथ-साथ उनके कर्तव्यों का भी विस्तार होता है, जो उनके करियर और विभाग की प्रतिष्ठा दोनों के लिए महत्वपूर्ण होता है।

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