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Banke bihari mandir:श्री बाँके बिहारी जी मंदिर का इतिहास और महिमा भगवान के दिव्य प्रकट होने की कथा,
श्री बाँके बिहारी जी का विग्रह, जो वृंदावन के प्रसिद्ध श्री बाँके बिहारी मंदिर में प्रतिष्ठित है, वह किसी साधारण मूर्ति की तरह नहीं है। यह विग्रह स्वयं भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी का वरदान है, जिसे उन्होंने स्वामी हरिदास जी को भेंट स्वरूप प्रदान किया था। भक्तों की प्रबल भक्ति और प्रेम को देखकर भगवान ने स्वयं अपनी संगिनी के साथ इस धरती पर प्रकट होकर, अंत में एक सुंदर काले रंग का विग्रह छोड़ दिया और अंतर्ध्यान हो गए। यह चमत्कारी कथा आज भी लाखों भक्तों के हृदय में भगवान की अनंत लीला की स्मृति के रूप में जीवित है।

Banke bihari ji mandir history and all details

स्वामी हरिदास जी का दिव्य जीवन:

स्वामी हरिदास जी का जन्म राधाष्टमी के पावन दिन, विक्रम संवत 1535 (1478 ई.) को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के पास एक छोटे से गाँव हरिदासपुर में हुआ। वे बचपन से ही सांसारिक जीवन से विमुख थे और ध्यान व साधना में डूबे रहते थे। उनकी विरासत श्री गर्गाचार्य से जुड़ी थी, जिन्होंने भगवान श्रीकृष्ण और बलराम का नामकरण संस्कार किया था। स्वामी हरिदास जी की भक्ति और तपस्या का आलोक उनके जीवन में बचपन से ही प्रकट हो गया था।

अद्वितीय भक्ति और हरिमति जी की अद्भुत तपस्या

हरिदास जी का विवाह हरिमति जी से हुआ, जो स्वयं एक तपस्विनी थीं। जब उन्हें यह ज्ञात हुआ कि उनके पति सांसारिक बंधनों से परे हैं, तो उन्होंने गहन प्रार्थना की और एक दीपक की लौ में विलीन होकर भगवान के धाम को प्रस्थान कर गईं। इस दिव्य घटना के बाद, स्वामी हरिदास जी ने सांसारिक जीवन को पूरी तरह त्याग दिया और वृंदावन के घने जंगलों में साधना करने चले गए।

निधिवन में साधना और भगवान का प्राकट्य

स्वामी हरिदास जी ने वृंदावन के निधिवन में एकांत साधना का स्थान चुना, जहाँ वे भजन, ध्यान और संगीत की साधना में लीन रहते थे। वे भगवान के नित्य विहार और नित्य रस में तल्लीन रहते थे। एक दिन, जब उनके शिष्य उनकी साधना के स्थल पर पहुँचे, तो उन्होंने वहाँ इतनी प्रचंड ज्योति देखी कि वे कुछ भी देख नहीं पाए। इसके बाद, स्वामी जी ने भगवान से प्रार्थना की, और भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी ने एक रूप में प्रकट होकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

भगवान के दिव्य रूप का दर्शन

भगवान और राधा रानी की अद्वितीय सुंदरता इतनी चमत्कारी थी कि साधारण मनुष्य उसे सहन नहीं कर सकते थे। स्वामी हरिदास जी ने भगवान से प्रार्थना की कि वे एक रूप में प्रकट हों, जिसे संसार देख सके और सह सके।

Banke bihari ji pic

उनकी इस प्रार्थना पर भगवान और राधा रानी ने एक सुंदर काले विग्रह का रूप धारण कर लिया, जिसे हम आज श्री बाँके बिहारी जी के रूप में पूजते हैं। यही कारण है कि मंदिर में श्री बाँके बिहारी जी के दर्शन निरंतर नहीं होते, बल्कि पर्दे द्वारा दर्शन को बार-बार रोका जाता है, ताकि उनकी दिव्यता से भक्त अचेत न हो जाएं।

गोस्वामी परिवार द्वारा सेवा परंपरा

स्वामी हरिदास जी ने श्री बाँके बिहारी जी की सेवा का उत्तरदायित्व अपने प्रमुख शिष्य और छोटे भाई, गोस्वामी जगन्नाथ जी को सौंपा। तब से यह परंपरा गोस्वामी परिवार की पीढ़ियों द्वारा निभाई जा रही है। प्रारंभ में, विग्रह को निधिवन के पास एक छोटे मंदिर में स्थापित किया गया था, लेकिन बाद में 1862 ई. में वर्तमान भव्य मंदिर का निर्माण हुआ, जो राजस्थानी वास्तुकला की शैली में बना है और अपनी सुंदरता से सभी को मोहित करता है।

श्री बाँके बिहारी जी की अनोखी सेवा परंपरा

बाँके बिहारी जी की सेवा अत्यंत विशिष्ट है। यहाँ दिन में तीन बार सेवा की जाती है – श्रृंगार, राजभोग, और शयन सेवा। सुबह श्रृंगार में स्नान, वस्त्र धारण और आभूषणों से सजाना शामिल होता है, जबकि राजभोग में भगवान को भव्य भोजन अर्पित किया जाता है। शाम को शयन सेवा होती है, जिसमें भगवान को विश्राम कराया जाता है। यहाँ मंगला (सुबह जल्दी) सेवा का प्रचलन नहीं है, क्योंकि स्वामी हरिदास जी अपने बालस्वरूप भगवान को पूरी नींद लेने देना चाहते थे और सुबह जल्दी उन्हें जगाना नहीं चाहते थे।

भगवान के आशीर्वाद का अनुभव

आज, यह मंदिर अपनी पूरी भव्यता और आभा के साथ खड़ा है, और हजारों भक्त यहाँ हर दिन भगवान के दर्शन के लिए आते हैं। उनकी दिव्यता का अनुभव करना अपने आप में एक अलौकिक अनुभव है, जो हर भक्त के हृदय को शांति और आनंद से भर देता है। श्री बाँके बिहारी जी की मुस्कान और उनकी आँखों का आकर्षण हर किसी को अपनी ओर खींच लेता है और यही कारण है कि यह मंदिर प्रेम और भक्ति का अनंत स्रोत बन गया है।

श्री बांके बिहारी मंदिर में क्या करें और क्या न करें

क्या करें (Do’s)

  1. पंक्ति प्रणाली का पालन करें ताकि आपको भगवान के दर्शन बिना किसी असुविधा के मिल सकें।
  2. प्राचीन परंपराओं और रीति-रिवाजों का सम्मान करें, और सह-यात्रियों के बीच धार्मिक भावना को बढ़ावा दें।
  3. मंदिर की पवित्रता और अनुशासन बनाए रखें
  4. अपनी चढ़ावे की राशि को मंदिर के हुदी या शाखा कार्यालय में जमा करें
  5. श्री जगन्नाथ मंदिर के परिसर को साफ-सुथरा रखें, क्योंकि स्वच्छता में ही देवता का वास होता है।
  6. मंदिर प्रवेश से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें, जिससे आप शुद्ध मन से भगवान के दर्शन कर सकें।
  7. चोरों और बंदरों से सतर्क रहें, क्योंकि वे मंदिर परिसर में अक्सर परेशान कर सकते हैं।

क्या न करें (Don’ts)

  1. मंदिर के दर्शन या परिसर में शराब या अन्य मादक पदार्थों का सेवन न करें, इससे आपकी धार्मिक यात्रा दूषित हो सकती है।
  2. भिक्षा मांगने को प्रोत्साहन न दें, क्योंकि इससे मंदिर परिसर की मर्यादा भंग होती है।
  3. मांसाहारी भोजन का सेवन न करें, यह मंदिर की पवित्रता को दूषित करता है।
  4. थूकें या गंदगी फैलाने से बचें, मंदिर परिसर में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
  5. मंदिर परिसर में जूते, चप्पल और चमड़े के सामान लेकर न जाएं, यह मंदिर के अनुशासन के विरुद्ध है।
  6. छतरी, मोबाइल फोन, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और चमड़े के वस्त्र मंदिर परिसर में न लाएं, इससे परिसर की शांति भंग हो सकती है।

मंदिर का दौरा करते समय इन बातों का पालन करके आप न केवल अपने अनुभव को सुखद बनाएंगे, बल्कि अन्य श्रद्धालुओं के लिए भी पवित्रता और अनुशासन का उदाहरण पेश करेंगे।

Shri Banke BihariJi Mandir Timings

Temple Timings: A Divine Journey for Devotees

The serene and spiritual atmosphere of the temple offers devotees a chance to connect with the divine. Whether you visit in the morning or evening, each moment spent here fills the soul with peace and devotion. Below are the detailed timings for the temple’s sacred rituals. Make sure to plan your visit accordingly to partake in the blessings!

Summer Timings (April to September)

EventMorningEvening
Temple Opens07:45 AM05:30 PM
Shringar Aarti08:00 AM
Bhog Aarti11:00 AM – 11:30 AM08:30 PM – 09:00 PM
Aarti & Temple Closes12:00 Noon09:30 PM
banke bihariji summer timings

Winter Timings (October to March)

EventMorningEvening
Temple Opens08:45 AM04:30 PM
Shringar Aarti09:00 AM
Bhog Aarti12:00 Noon – 12:30 PM07:30 PM – 08:00 PM
Aarti & Temple Closes01:00 PM08:30 PM
banke bihariji winter timings

Embrace the Divine Energy!
Whether it’s witnessing the grand Shringar Aarti or participating in the blissful Bhog Aarti, every moment spent in the temple is a step towards spiritual fulfillment. Don’t miss the final Aarti in the evening, a perfect conclusion to your day of devotion.

Plan your visit to soak in the temple’s serene atmosphere, whether it’s during the warm mornings of summer or the calm winter evenings.

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