Anupama 8th October 2024 Written Episode Update: एपिसोड की शुरुआत डॉली द्वारा आढ्या को डिंपी की हालत के लिए दोषी ठहराने से होती है। यह एक ऐसा पल है जब सभी का ध्यान डिंपी की स्थिति पर है, लेकिन डॉली अपनी भड़ास निकालने से पीछे नहीं हटती। “आढ्या ने डिंपी को आग में धकेला!” वह चिल्लाती है। मेनू और कंजल उसे समझाने की कोशिश करते हैं, “डॉली, बस करो। आढ्या एक छोटी बच्ची है।” लेकिन डॉली का गुस्सा कम नहीं होता।
अनुपमा, जो इस स्थिति को देख रही है, उस पर भी चुप नहीं रह पाती। जब वह बोलने की कोशिश करती है, तभी बाए कहती हैं, “अगर डिंपी को कुछ हुआ, तो मैं तुम्हें नहीं छोड़ूंगी।” डॉली फिर से प्रार्थना करने की बात करती है, “भगवान से प्रार्थना करो कि उसे कुछ न हो, वरना तुम बच नहीं पाओगी।”
आढ्या, जो अब पूरी तरह से घबरा चुकी है, अनुपमा के पास दौड़ती है। वह चिल्लाती है, “माँ, मैं दोषी नहीं हूँ!” लेकिन डॉली उसे झूठा बताती है। “मैंने देखा, उसने डिंपी को आग में धकेला!” आढ्या का चेहरा डर और भ्रम से भरा होता है। “मैं ऐसा नहीं कर सकती,” वह चिल्लाती है और अचानक बेहोश होकर अनुपमा पर गिर जाती है।
दृश्य में और तनाव बढ़ता है। “वह नाटक कर रही है,” डॉली कहती है, जिससे पाखी मजाक में कहती है, “अब वह कहेगी कि उसे पैनीक अटैक आया है।” अनुपमा सबको चेतावनी देती है, “मेरी बेटी को छूने की कोशिश मत करो। मैं अपनी बेटी पर पूरी तरह विश्वास करती हूँ।”
इस बीच, बाए दुखी होकर कहती हैं, “यह हवन की आग ने हमारे परिवार को बर्बाद कर दिया है।” डॉली फिर से आढ्या को दोष देती है, “यह सब आढ्या की गलती है!” इस पर बाए कहती हैं, “शायद यह एक गलती हो सकती है।”
तोषु चिल्लाते हुए कहता है, “डिंपी तो मौत के करीब है और तुम यह सब कर रही हो!” पाखी आंशिक रूप से चिंतित हो जाती है, “आखिरकार, अंश का क्या होगा?” बाए कहती हैं, “हमने पहले ही शाह हाउस खो दिया, फिर वानराज भाग गए, अब यह…” उनके चेहरे पर चिंता स्पष्ट होती है।
अनुपमा का संघर्ष अब गहराता जा रहा है। वह सोचती है, “डिंपी मौत से लड़ रही है और आढ्या घबराई हुई है। अंश अपनी मम्मी के लिए चिंतित है।” उसकी आँखों में आँसू हैं, और वह भगवान से प्रार्थना करती है कि सब कुछ ठीक हो जाए। “कौन समझाएगा? मेरे पास कोई नहीं है।” कंजल और मेनू उसकी पीठ थपथपाते हैं, “आपको खुद को संभालना होगा।”
सागर, जो इस स्थिति में मदद करना चाहता है, कहता है, “हम सबको आपकी जरूरत है।” अनुपमा गहरी सांस लेती है और कहती है, “मेरी बेटी ने जानबूझकर कुछ नहीं किया। यह सब एक हादसा था।”
डॉक्टर आढ्या की जांच करते हैं और कहते हैं, “वह बहुत डर गई है। पुराना ट्रॉमा फिर से सक्रिय हो गया है।” अनुपमा को आढ्या की पुरानी परेशानियों की याद आती है, जब उसने पहले भी पैनीक अटैक का सामना किया था। डॉक्टर जाते हैं, और अनुपमा सोचती है, “क्या करूँ? किसे समझाऊँ?”
कंजल और मेनू उसे समझाते हैं, “आपको मजबूत रहना होगा।” अनुपमा कहती हैं, “लेकिन किसके खिलाफ लड़ूँ? डॉली का गुस्सा सही नहीं है। आढ्या छोटी है, वह गुस्से में ऐसा नहीं कर सकती।”
सागर कहता है, “हमें यह समझना चाहिए कि डॉली क्यों ऐसा कर रही है।” मेनू उत्तर देती है, “वह इसलिए नाराज है क्योंकि मामी ने हमें सपोर्ट किया।” अनुपमा फिर कहती है, “उसे आढ्या के साथ ऐसा नहीं करना चाहिए। वह एक छोटी बच्ची है।”
तोषु, जो काफी गुस्से में है, सुझाव देता है, “हमें आढ्या के खिलाफ पुलिस में शिकायत करनी चाहिए।” पाखी कहती है, “अगर डिंपी को कुछ हुआ, तो अंश का क्या?” अनुपमा की आँखों में चिंता झलकती है।
इस बीच, अनुपमा की चिंता और भी बढ़ जाती है। वह अपने बेटे अंश को देखती है, जो अपने दादू के बारे में सोच रहा है। अंश कहता है, “डैडी मुझे छोड़ गए और अब मम्मी भी…” अनुपमा उसे दिलासा देती है, “नहीं, ऐसा कुछ नहीं होगा। भगवान बच्चों की सुनता है।”
दृश्य में एक मोड़ तब आता है जब अनुपमा प्रार्थना करती है। “डिंपी ठीक हो जाए,” वह मन ही मन कहती है। तुषार सोचता है, “कैसे मैं माँ के दस्तखत इन कागज़ों पर लूँगा?”
पाखी डॉली से कहती है, “क्या एक माँ अपने बच्चों के खिलाफ ऐसा कर सकती है?” डॉली, गुस्से में भरकर, जवाब देती है, “मैं आढ्या को जेल भेज दूँगी।” पाखी कहती है, “अगर कुछ हुआ, तो मैं भी बाहर हो जाऊँगी।”
अनुपमा फिर से भगवान से प्रार्थना करती है। “मैं जानती हूँ, डिंपी ठीक हो जाएगी,” वह खुद से कहती है। अंश फिर से अपने दादू के पास जाता है और पूछता है, “मम्मी कहाँ हैं?”
तितु, जो डिंपी की हालत को देखकर रो रहा है, को देखकर कंजल कहती है, “तितु, तुम्हें थोड़ा मजबूत रहना चाहिए।”
अनुपमा फिर से अपने बच्चों के लिए गाना गाने लगती है, “लोरी, लोरी…” वह बच्चों को सुलाने की कोशिश करती है।
दृश्य में हलचल बढ़ती है जब डॉली और पाखी अपने प्लान को अंजाम देने के लिए किसी से बात कर रही होती हैं। अनुपमा का ध्यान इस ओर नहीं है। वह चिंतित होकर सोचती है, “अनुज का फोन अभी तक नहीं आया।”
अचानक, अनुपमा को एक कॉल आता है और वह चिल्लाती है, “नहीं!” सब उसकी ओर दौड़ते हैं। वह कहती है, “डिंपी…” सब लोग और भी अधिक दुखी हो जाते हैं। आढ्या अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए लिखती है, “सॉरी भाभी, जो भी हुआ, उसके लिए मैं वास्तव में खेदित हूँ।”
वापस तितु की ओर, अंश उसे पूछता है, “पापा कहाँ हैं?” तितु थोड़ी देर के लिए खड़ा रहता है, और सबको देखता है।
अनुपमा की आँखों में आँसू हैं और वह अपने परिवार को एक साथ रखने की पूरी कोशिश कर रही है। यह एक कठिन समय है, लेकिन वह अपने बच्चों के लिए हमेशा मजबूत रहने की कोशिश करती है।
इस एपिसोड में, भावनाएँ उभरकर सामने आती हैं। यह दिखाता है कि एक माँ कैसे अपने बच्चों के लिए हर हाल में लड़ती है और कैसे परिवार के सदस्य एक-दूसरे के साथ मिलकर कठिन समय का सामना करते हैं।
क्या आगे क्या होगा? यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन इस एपिसोड ने दर्शकों के दिलों में एक गहरी छाप छोड़ दी है।
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