Hot pursuit or drive for hunt: छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षा बलों की मुहिम लगातार सफल हो रही है। नक्सलियों का तंत्र एक के बाद एक ध्वस्त होता जा रहा है, और इसका श्रेय सुरक्षा बलों के विशेष ऑपरेशनों को दिया जा रहा है। पिछले कुछ महीनों में किए गए जबरदस्त अभियानों के कारण नक्सलियों की कमर टूट चुकी है। आइए, इन सफलताओं के पीछे की कहानी को समझते हैं और जानते हैं कि कैसे “हॉट परस्यूट” और “ड्राइव फॉर हंट” जैसे ऑपरेशनों ने स्थिति को बदला है।
नक्सलवाद के खिलाफ आक्रामक रुख
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में नक्सलवाद के खिलाफ एक आक्रामक रुख अपनाया गया है। पिछले नौ महीनों में केंद्र और राज्य सरकार के बीच बेहतर समन्वय ने सुरक्षा बलों का हौसला बढ़ाया है। नतीजतन, प्रदेश में नक्सलियों की गतिविधियों में लगातार कमी आ रही है। अब हर महीने जवान बड़ी सफलताएँ हासिल कर रहे हैं।
हाल ही में, नारायणपुर-दंतेवाड़ा जिले की सीमा पर थुलथुली गांव के पास हुई मुठभेड़ में जवानों ने 32 नक्सलियों को ढेर कर दिया। यह सफलता सिर्फ संयोग नहीं है; यह सुरक्षा बलों की रणनीति में बदलाव का परिणाम है। हॉट परस्यूट और ड्राइव फॉर हंट जैसे ऑपरेशनों ने नक्सलियों की गतिविधियों को बुरी तरह प्रभावित किया है।
हॉट परस्यूट – तेजी से नक्सलियों का पीछा (What is hot pursuit)
हॉट परस्यूट एक अत्याधुनिक रणनीति है, जिसमें नक्सलियों की गतिविधियों की जानकारी मिलते ही सुरक्षा बल उनका तेजी से पीछा करते हैं। इस रणनीति के अंतर्गत, ऑपरेशन में लगे जवानों और अधिकारियों को कमांड शक्तियाँ प्राप्त होती हैं। इसका मतलब यह है कि वे अपने सीमाओं से बाहर जाकर भी नक्सलियों का पीछा कर सकते हैं।
यह तरीका नक्सलियों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। जब नक्सली अपनी गतिविधियों को अंजाम देने की सोचते हैं, तब सुरक्षा बलों की तेज प्रतिक्रिया उन्हें अचंभित कर देती है। नतीजतन, नक्सलियों के कई प्रमुख कमांडर पकड़े जा रहे हैं या मारे जा रहे हैं, जिससे उनकी संरचना कमजोर होती जा रही है।
ड्राइव फॉर हंट – नक्सलियों की जड़ों पर प्रहार (What is drive for hunt)
ड्राइव फॉर हंट रणनीति नक्सलियों की घने जंगलों में छिपने की प्रवृत्ति का मुकाबला करने के लिए बनाई गई है। इस रणनीति के तहत, एक तरफ से तलाशी ली जाती है, जबकि अन्य दिशाओं से नक्सलियों को रोकने के लिए स्पॉट पार्टियाँ लगाई जाती हैं। इसका उद्देश्य नक्सलियों को घेराबंदी के जाल में फंसाना है।
जब नक्सली एक निश्चित क्षेत्र में अपनी गतिविधियों को बढ़ाने की कोशिश करते हैं, तो सुरक्षा बल उन्हें चारों ओर से घेर लेते हैं। इससे नक्सलियों के पास भागने का कोई रास्ता नहीं बचता, और उन्हें मजबूरन आत्मसमर्पण करना पड़ता है या फिर उनकी जान चली जाती है। इस रणनीति ने कई नक्सलियों को पकड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
भौगोलिक परिस्थिति का उपयोग
सुरक्षा बलों ने इन रणनीतियों के साथ-साथ क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियों का भी इस्तेमाल किया है। जवानों को दुर्गम रास्तों और जंगलों में नेविगेट करने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। खड़ी पहाड़ियों के इलाके में नक्सलियों को घेरने की नई तकनीकें अपनाई जा रही हैं।
इस प्रकार, नक्सलियों के ठिकानों की पहचान करने में सूचना तंत्र को और मजबूत किया गया है। अब जवान नक्सलियों के बड़े नेताओं की गतिविधियों पर नजर रख सकते हैं, जिससे उन्हें पकड़ने में आसानी होती है।
स्थानीय सहयोग: ग्रामीणों की भूमिका
सुरक्षा बलों की सफलता में स्थानीय ग्रामीणों का सहयोग भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। नियद नेल्लानार योजना (सबसे अच्छा गांव) के तहत सरकार ने ग्रामीणों का भरोसा जीतने का प्रयास किया है। इससे ग्रामीण नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षाबलों को जानकारी प्रदान करने में अधिक सक्रिय हो गए हैं।
जब ग्रामीण खुद को सुरक्षा बलों के प्रति सुरक्षित महसूस करते हैं, तो वे नक्सलियों के बारे में जानकारी साझा करने में संकोच नहीं करते। इससे नक्सलियों की गतिविधियों का पता लगाना आसान हो जाता है।
सरकार की निरंतर कोशिशें
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान नक्सल प्रभावित सात राज्यों की अंतरराज्यीय समन्वय समिति की बैठक में यह स्पष्ट किया कि नक्सली या तो मुख्यधारा में शामिल हों, या फिर सुरक्षा बलों के खिलाफ कार्रवाई के लिए तैयार रहें। यह एक सख्त संदेश है कि अब नक्सलियों के पास कोई विकल्प नहीं है।
इस बैठक के दौरान, उन्होंने नक्सलियों की गतिविधियों को खत्म करने के लिए नई रणनीतियों पर चर्चा की। सुरक्षा बलों की संख्या बढ़ाने और उनके उपकरणों को आधुनिक बनाने पर जोर दिया गया है।
भविष्य की दिशा
छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई अब एक नई दिशा में बढ़ रही है। सुरक्षा बलों की योजनाएं स्पष्ट हैं, और उनका उद्देश्य नक्सलियों के नेटवर्क को खत्म करना है। नक्सलियों की संख्या में कमी आ रही है, और उनकी गतिविधियाँ अब सीमित होती जा रही हैं।
इन सभी प्रयासों के साथ, छत्तीसगढ़ की सरकार और सुरक्षा बल यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि प्रदेश में शांति और विकास की राह में कोई रुकावट न आए। नक्सलवाद का खात्मा ही प्रदेश के विकास का आधार है, और यह मुहिम इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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