Tax Rule Change: आज से, 1 अक्टूबर से, आपके वित्तीय जीवन में कई महत्वपूर्ण बदलाव होने जा रहे हैं। इनमें स्वास्थ्य बीमा, खुदरा लोन, शेयर बायबैक, बोनस शेयर समेत कई अन्य नियम शामिल हैं, जिनका सीधा प्रभाव आपकी जेब पर पड़ेगा। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के निर्देशों के तहत बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) को खुदरा लोन से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन करना अनिवार्य होगा। इस रिपोर्ट में जानिए इन बदलावों के बारे में विस्तार से और कैसे ये आपके वित्तीय फैसलों को प्रभावित करेंगे।
Clear Information on Retail Loan Costs
अब से बैंकों और एनबीएफसी को खुदरा लोन लेने वाले ग्राहकों को लोन से जुड़े सभी प्रमुख तथ्यों की जानकारी देनी होगी। यह जानकारी ग्राहकों के लिए आसान और स्पष्ट भाषा में होनी चाहिए ताकि लोन की पूरी लागत और उससे जुड़े अन्य शुल्क की पूरी समझ मिल सके। आरबीआई के अनुसार, लोन की कुल लागत, फीस, और अन्य चार्जेस की पूरी जानकारी ग्राहकों को दी जाएगी ताकि कोई भ्रम न रहे।
Higher Premium on Policy Surrender
बीमाधारकों के लिए यह एक राहत की बात है कि अब पॉलिसी सरेंडर करने पर भी उन्हें पहले से ज्यादा प्रीमियम मिलेगा। एक अक्टूबर से बीमा पॉलिसी सरेंडर करने पर, बीमा कंपनियों को एक वर्ष के बाद भी पैसा देना अनिवार्य होगा। पहले एक वर्ष के भीतर पॉलिसी सरेंडर करने पर कोई रिफंड नहीं मिलता था, लेकिन अब यह नियम बदल दिया गया है। इसके अलावा, स्वास्थ्य बीमा में प्रतीक्षा अवधि को भी तीन वर्ष तक सीमित कर दिया गया है, जो पहले चार वर्ष थी।
20 Percent Tax on Share Buyback
अब कंपनियों के शेयर बायबैक में हिस्सा लेने वाले निवेशकों को अपनी आय में 20 प्रतिशत टैक्स देना होगा। इससे पहले, यह टैक्स कंपनियों पर लगाया जाता था, लेकिन अब इस प्रक्रिया को लाभांश के रूप में माना जाएगा और टैक्स का बोझ शेयरधारकों पर पड़ेगा।
Bonus Shares Trading Two Days After Record Date
कंपनियों द्वारा जारी किए गए बोनस शेयर में अब रिकार्ड डेट से सिर्फ दो दिन बाद ही ट्रेडिंग शुरू हो जाएगी। पहले इसमें करीब दो सप्ताह का समय लगता था, लेकिन नए नियमों के तहत यह प्रक्रिया तेज़ कर दी गई है।
No 20 Percent TDS on Mutual Fund Unit Buyback
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा बजट में किए गए ऐलान के तहत, म्यूचुअल फंड्स की यूनिट्स को दोबारा खरीदने पर अब 20 प्रतिशत का टीडीएस नहीं लगेगा। यह निवेशकों के कर बोझ को कम करने की दिशा में एक अहम कदम है।
Apply for Vivad Se Vishwas 2.0
लंबित कर विवादों के निपटान के लिए शुरू की गई विवाद से विश्वास 2.0 योजना के तहत अब एक अक्टूबर से आवेदन किया जा सकता है। इस योजना का उद्देश्य कर मुकदमों की संख्या को कम करना है और इसके लिए आवेदन की अंतिम तिथि 31 दिसंबर 2024 निर्धारित की गई है।
NRI’s PPF Accounts Will Be Closed
अप्रवासी भारतीयों (एनआरआई) के लिए एक और महत्वपूर्ण बदलाव किया गया है। जो एनआरआई अपने पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) खाते में निवेश कर रहे हैं, उन्हें अपनी एनआरआई स्थिति की जानकारी देनी होगी। जिन खाताधारकों ने यह जानकारी नहीं दी है, उनके पीपीएफ खाते 1 अक्टूबर से बंद कर दिए जाएंगे। 30 सितंबर 2024 तक इन खातों में जमा राशि पर पोस्ट ऑफिस बचत खाते की दर से ब्याज मिलेगा, लेकिन 1 अक्टूबर के बाद कोई ब्याज नहीं मिलेगा।
Conclusion
1 अक्टूबर से लागू हो रहे ये नए वित्तीय नियम आपके जीवन पर व्यापक प्रभाव डाल सकते हैं। चाहे वह लोन की स्पष्टता हो, बीमा पॉलिसी पर अधिक प्रीमियम मिलना हो, या शेयर बायबैक और बोनस शेयर पर टैक्स, ये बदलाव आपकी वित्तीय योजना में अहम भूमिका निभा सकते हैं। ऐसे में इन नए नियमों को समझकर ही अपने वित्तीय फैसले लें, ताकि आप अपने पैसे का अधिकतम लाभ उठा सकें।
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