Yes Bank से SBI को मिलने वाला है 100 अरब का धमाकेदार मुनाफा! जापान और दुबई के बैंकों से हिस्सेदारी की बड़ी डील की तैयारी

Yes Bank की हालत 2020 की शुरुआत में बहुत गंभीर हो गई थी—डूबने के कगार पर था। लेकिन आरबीआई ने एक शानदार कदम उठाया, स्थानीय बैंकों का एक ग्रुप बनाकर उन्हें यस बैंक में निवेश करने के लिए प्रेरित किया। इस कदम ने यस बैंक को संकट से उबार लिया। आज, SBI के पास यस बैंक में सबसे बड़ा 24% हिस्सा है, और अब SBI अपनी इस हिस्सेदारी को बेचने की तैयारी कर रहा है। आरबीआई ने भी इस दिशा में हरी झंडी दे दी है।

बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली: भारत का सबसे बड़ा लेंडर, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI), अब यस बैंक में अपनी पूरी हिस्सेदारी को अगले साल की शुरुआत तक बेचने की योजना बना रहा है। SBI का यस बैंक में 24% स्टेक है, और इस बड़े सौदे की कीमत करीब 184.2 अरब रुपये तक पहुंच सकती है—डॉलर में लगभग 2.2 अरब। यह रोमांचक खबर समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से दी है।

SBI की हिस्सेदारी: कौन बनेगा इस सुनहरे मौके का मालिक?

जापानी बैंक सुमितोमो मित्सुई बैंकिंग कॉर्पोरेशन और दुबई का एमिरेट्स NBD इस वक्त यस बैंक में हिस्सेदारी खरीदने की रेस में सबसे आगे हैं। सुमितोमो मित्सुई, जो कि जापान के दूसरे सबसे बड़े बैंक सुमितोमो मित्सुई फाइनेंशियल ग्रुप का एक महत्वपूर्ण अंग है, और एमिरेट्स NBD दोनों ही 51 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने के लिए बेताब हैं। इन दोनों दिग्गजों का लक्ष्य है यस बैंक के बिजनेस पर पूरी तरह से अपना कब्जा जमाना।

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, रिजर्व बैंक (RBI) ने एसबीआई के हिस्सेदारी बेचने के प्रस्ताव को मौखिक रूप से हरी झंडी दे दी है। अब इस रोमांचक प्रक्रिया के अगले चरण पर तेजी से काम चल रहा है।

SBI का हिस्सेदारी खरीदना: निवेश की स्मार्ट रणनीति या कुछ और?

साल 2020 की शुरुआत में यस बैंक एक भयंकर वित्तीय संकट से गुजर रहा था। उसने अपने कर्ज की अधिकांश राशि उन कंपनियों को दे दी थी जो घाटे में चल रही थीं, और समय पर लोन की वापसी न मिलने की वजह से बैंक डूबने के कगार पर आ गया। 2018 में इसके शेयर की कीमत 400 रुपये के आस-पास थी, लेकिन मार्च 2020 तक ये गिरकर केवल 15 रुपये पर आ गई थी।

लेकिन यहाँ पर एक रौशनी की किरण थी! यस बैंक को बचाने के लिए आरबीआई ने एक ताकतवर टीम का गठन किया, जिसमें स्थानीय बैंकों ने मिलकर बैंक में निवेश किया। SBI ने यस बैंक में लगभग 24 फीसदी हिस्सेदारी लेकर उसे संजीवनी दी। ICICI बैंक, HDFC बैंक और 11 अन्य लेंडर भी इस मिशन में शामिल हुए और करीब 10 फीसदी हिस्सेदारी के साथ बैंक को बचाने में मदद की। बाकी हिस्सा दो निजी इक्विटी फंड- CA बास्क इन्वेस्टमेंट और वर्वेंटा होल्डिंग्स के साथ जनता के पास है, जिन्होंने बैंक को नई दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

यस बैंक का यह संघर्ष और फिर से उठ खड़ा होना एक प्रेरणादायक कहानी है, जो हमें यह सिखाता है कि संकट के समय में भी एकजुटता और सही कदम उठाकर बड़ी से बड़ी मुश्किलें भी पार की जा सकती हैं।

कहां फंसी है बात? नई सोच, नया बदलाव!

यस बैंक के संभावित विदेशी खरीदार अब नियामकीय छूट की उम्मीद कर रहे हैं। आरबीआई के नियमों के अनुसार, किसी भी वित्तीय संस्थान में प्रमोटर की हिस्सेदारी 26% से अधिक नहीं हो सकती। निवेशक 26% से अधिक स्टेक खरीद सकते हैं, लेकिन 15 वर्षों के भीतर इसे घटाकर 26% तक लाना होगा। यस बैंक के बोलीदाता 51% हिस्सेदारी की चाह रखते हैं ताकि बैंक के संचालन पर उनका पूरा नियंत्रण हो सके।

यदि यह सौदा सफल होता है, तो एसबीआई को 100 अरब रुपये का महत्वपूर्ण लाभ होगा। पहले जब यस बैंक नकदी संकट में था, SBI ने उसे राहत प्रदान की थी, लेकिन वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए, एसबीआई के लिए बाहर निकलना एक व्यावसायिक समझदारी का कदम है। मौजूदा बाजार मूल्य 24.60 रुपये पर, यस बैंक का कुल मूल्य 770.95 अरब रुपये आंका गया है। एमिरेट्स NBD ने भी प्राइवेट लेंडर आईडीबीआई बैंक को खरीदने में रुचि व्यक्त की है। हालांकि, इस मामले में आगे की बातचीत यस बैंक की डील पूरी होने के बाद ही आगे बढ़ेगी।

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