राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण एक गंभीर पर्यावरणीय चुनौती!

दिल्ली-एनसीआर अक्सर दुनिया के सबसे प्रदूषित क्षेत्रों में शुमार होता है, खासकर अक्टूबर के अंत से दिसंबर के दौरान। वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) अक्सर खतरनाक स्तर को पार कर जाता है, जिसमें PM2.5 और PM10 कण प्राथमिक प्रदूषक होते हैं।

मुख्य कारण:-

  1. वाहन उत्सर्जन : उच्च वाहन घनत्व और पुराने डीजल वाहन वायु प्रदूषण में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं
  2. औद्योगिक प्रदूषण: एनसीआर क्षेत्र में उद्योग सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) और नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) सहित प्रदूषक उत्सर्जित करते हैं
  3. फसल अवशेष जलाना: पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे पड़ोसी राज्यों में किसान फसल अवशेष जलाते हैं, जिससे प्रदूषण बढ़ता है।
  4. निर्माण धूल: बड़े पैमाने पर निर्माण गतिविधियों से हवा में कण पदार्थ निकलते हैं।
  5. कोयला आधारित बिजली संयंत्र: क्षेत्र में थर्मल पावर प्लांट SO2, NOx और कण पदार्थ उत्सर्जन में योगदान करते हैं।
  6. भौगोलिक कारक: दिल्ली का भूमि से घिरा होना और सर्दियों के दौरान तेज़ हवाओं की कमी प्रदूषकों को फँसाती है।
  7. शीतकालीन मौसम विज्ञान: कम तापमान और उच्च आर्द्रता से धुआँ बनता है, जिससे हवा की गुणवत्ता खराब होती है।

स्वास्थ्य पर प्रभाव:-

श्वसन रोग, अस्थमा और हृदय संबंधी समस्याओं के मामलों में वृद्धि।

लंबे समय तक संपर्क में रहने से फेफड़ों की कार्यक्षमता कम हो जाती है और मृत्यु दर बढ़ जाती है।

आर्थिक:-

स्वास्थ्य समस्याओं के कारण उत्पादकता में कमी, स्वास्थ्य सेवा लागत में वृद्धि।

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